राजस्थान सरकार ने कोचिंग सेंटरों को नियमित करने और शिक्षा व्यवस्था को अधिक पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से “राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण एवं विनियमन) विधेयक 2025” विधानसभा में पेश किया है। इस विधेयक के तहत कोचिंग संस्थानों की जवाबदेही तय करने और छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई सख्त प्रावधान किए गए हैं।
Rajasthan Coaching Bill
प्रमुख प्रावधान:
- पंजीकरण अनिवार्य: सभी कोचिंग सेंटरों को राज्य सरकार के पास पंजीकरण कराना होगा। किसी भी शाखा के लिए अलग पंजीकरण आवश्यक होगा।
- सीमित कक्षाएं: किसी भी कोचिंग सेंटर में एक दिन में 5 घंटे से अधिक की कक्षाएं नहीं चल सकेंगी, ताकि छात्रों पर मानसिक और शारीरिक दबाव न पड़े।
- फीस और रिफंड पॉलिसी: कोचिंग संस्थानों को अपनी फीस संरचना सार्वजनिक करनी होगी। यदि कोई छात्र बीच में कोर्स छोड़ता है, तो 10 दिनों के भीतर आनुपातिक फीस वापस करनी होगी।
- भ्रामक विज्ञापनों पर रोक: कोचिंग सेंटर किसी भी परीक्षा में सफल छात्रों के नतीजों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश नहीं कर सकते। झूठे विज्ञापनों पर सख्त कार्रवाई होगी।
- मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं: छात्रों को तनाव से बचाने के लिए कोचिंग सेंटरों को काउंसलिंग सुविधाएं देनी होंगी। प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक और काउंसलर नियुक्त किए जाएंगे।
- अभिभावकों के लिए करियर काउंसलिंग: मेडिकल और इंजीनियरिंग के अलावा अन्य करियर विकल्पों की जानकारी देने के लिए विशेष काउंसलिंग सत्र आयोजित किए जाएंगे।
नियम उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई
विधेयक के अनुसार, यदि कोई कोचिंग संस्थान नियमों का उल्लंघन करता है, तो पहली बार में 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। दूसरी बार उल्लंघन करने पर 5 लाख रुपये तक का दंड होगा और बार-बार नियम तोड़ने पर संस्थान का पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।
छात्रों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान
सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि छात्रों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। कोचिंग सेंटरों को यह स्पष्ट करना होगा कि विद्यालय की परीक्षाएं और प्रतियोगी परीक्षाएं कैसे अलग हैं। छात्रावास सुविधाओं और अन्य सेवाओं की विस्तृत जानकारी प्रॉस्पेक्टस में देनी होगी।
कोचिंग सेंटर संचालकों की चिंता
कोचिंग संस्थान संचालकों का मानना है कि इस विधेयक के लागू होने से कोटा जैसे शहरों की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है। हालांकि, सरकार का दावा है कि यह कदम छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और उनके उज्जवल भविष्य के लिए उठाया गया है।
21 मार्च को इस विधेयक पर विधानसभा में चर्चा होगी, जिसके बाद इसके लागू होने की प्रक्रिया शुरू होगी।